https://storymirror.com/poem/56364dfb2086f7ea06c5b503
कभी मुझे पैदा होने से पहले
ही !
मौत के घाट उतार दिया जाता
है !!
कभी दहेज़ के नाम पर !
आग लगा कर मार दिया जाता है
!!
कभी प्रेम की आड़ में तेजाब
फेंक कर !
मेरा चेहरा बिगाड़ दिया जाता
है !!
कभी गोद में लेकर खिलाने के
बहाने !
मुझसे बलात्कार किया जाता
है !!
कभी झूठी प्रतिष्ठा के लिए
!
मेरा गला रेत दिया जाता है
!!
जिन पेड़ों पर झूलना चाहती
थी मैं !
उन्हीं की शाखों पर मुझे
उसी रस्सी से
फांसी पर लटका दिया जाता है
!!
कौन हो तुम ?
मेरे भाई, चाचा, ताऊ, पिता,
प्रेमी, या संरक्षक...?
कौन हूँ मैं ?
तुम्हारी बहन, बेटी, माँ,
पत्नी, प्रेमिका या दोस्त ...?
इन्सान नहीं, हैवान हो तुम
!
धिक्कार है,
थूकती हूँ मैं तुम पर !!
जा रही हूँ मैं !
क्योंकि,
जब तक ये तय नहीं होता,
जब तक ये सत्य नहीं होता,
कौन हूँ मैं और कौन हो तुम
??
जा रही हूँ मैं,
कभी न लौटने के लिए,
छोड़ कर तुम्हें इस धरा पर,
अकेला...हमेशा के लिए !!
और,
एक भयानक अट्टहास की गूँज
के साथ
संसार से सब स्त्रियाँ ग़ायब
हो जाती हैं....
और,
कुछ ही दिनों में संसार के
सारे पुरुष
विक्षिप्त होकर समाप्त हो
जाते हैं!!
सृष्टि का विध्वंस हो जाता
है !!!!
लेखक- राजीव पुंडीर