लेखिका गरिमा मिश्रा से परिचय तब हुआ था जब वो मेरे द्वारा संपादित कहानी संग्रह "ज़िंदगी : कभी धूप कभी छांव" की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जुड़ी। उसमें उनकी एक कहानी और कुछ कवितायें थीं जिनको पढ़कर हर कोई प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। लेकिन उनका ये कविता संग्रह जो अभी "तोष" के नाम से आया है पढ़ने वालों को उनकी कविताओं से नहीं उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और कविता लेखन में उनकी पकड़ से रु-ब-रु कराने में सौ प्रतिशत कामयाब हो गया है।
तोष की कवितायें गंभीर और सार गर्भित हैं। यदि आप उनसे तत्परता से गुजरना चाहेंगे तो आप न उन्हें पूर्ण रुपेण ग्रहण कर पाएंगे और न ही पढ़ने का आनंद ले पाएंगे। इसलिए धीरता के साथ तन्मय होकर पढ़ें। तोष की कवितायें गंभीर होते भी एक शांत धीमी धीमी शीतल हवा के झोंके की तरह आपके मन को छूती हैं, कभी गुदगुदाती हैं, कभी आपको भाव विभोर कर आपकी आँखें नम कर देती हैं, कभी लगता है की आप तपते सूरज के नीचे खड़े झुलस रहे हैं और कभी आपको एहसास होता है कि आपके ऊपर ठंडी चाँदनी बादलों के बीच से छन छन कर बरस रही है :
1 मनाई है कितनी ही ईद राहे महताब, ये और बात है कि मेरे ही सहन नहीं उतरा कभी वो...
2 एक रिश्ता है साँसों में बसी खुशबू सा, रगों में ढली बोली सा, कुछ खट्टा कुछ मीठा सा, एक रिश्ता है गरम नरम हथेली सा, कच्ची पक्की हवेली सा, एक रिश्ता है संग यादें हैं, वो है दूर किसी पहेली सा....
एक अद्भुत शेर है:
एक रूहानी सी मासूमियत उतार आती है, हर कत्ल के पहले क़ातिल पे,
कत्ल ए तहज़ीब निभाई इस तरह...
दूसरा है :
अक्सर जिस्मों के दायरे से, निकलकर सुख़न तेरे पैरहन मिली, तू भी क्या चीज़ है ज़िंदगी, जब मिली उलझन में मिली।
लेखिका का खुद का दर्द अनेकों शेरों में झलकता है। लगता है किसी ने उन्हें बेपनाह दर्द भी दिया है क्योंकि इतनी भावुक और दर्द भरी शायरी शायद वो ही लिख सकता है जो उस दर्द के समंदर से खुद डूब कर गुज़रा हो. हालांकि ये नयी बात भी नहीं है क्योंकि सभी लेखकों के साथ कमोबेश ये होता है कि लिखते समय उनके दर्द उनके अल्फ़ाज़ों में ढल जाते हैं।
एक बानगी :
मेरा वजूद, मेरा वक़्त सब उसका, मैं अपने ही हिस्से की न रही। वो गैरों से यूं मिलवाता है मुझको, जैसे कोई बीता हुआ लम्हा कोई। मैं उसकी यादों में बीतती, अपने ही लिखे किस्से की न रही...
दोस्तों बहुत ही उम्दा कवितायें हैं, प्रेम, विरह, यादें और न जाने कितने भावों से परिपूर्ण ये कविताएं निश्चित रूप से संग्रह के योग्य हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि हिन्दी-उर्दू साहित्य को समृद्ध करने की शक्ति रखतीं हैं।
अपने नाम के अनुसार ये किताब "तोष" पाठकों को संतुष्टि से लबालब भर देगी। साहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए अद्भुत काव्य संग्रह है। अमेज़न पर उपलब्ध है जिसे एविन्स पब्लिशर ने छापा है।
मैं, एक लेखिका, विशेष रूप से एक कवियित्री के रूप में गरिमा मिश्रा के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए अपनी शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ।
राजीव पुंडीर
13 जनवरी 2021