एक लेखक होने के लिए आपके अन्दर एक कलाकार का होना बहुत ज़रूरी है I उच्च शिक्षा और भाषा का ज्ञान तो समय और परिश्रम की देन हैं - ऐसा मानना है नयी उभरती हुई कवियित्री वर्षा गुप्ता का जिनका कविता संग्रह 'सफ़र रेशमी सपनों का' आजकल मीडिया में चर्चा में है I उनसे हुई एक ख़ास बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश :
1. पाठकों को अपना संक्षिप्त परिचय दें:
मेरा नाम
वर्षा गुप्ता
है
| "रैन" नाम मैंने
एक लेखिका
के तौर
पर रखा
है
| मध्यप्रदेश के
छोटे से
गांव कचनारा
में मेरा
जन्म हुआ|
बी.ए.
की पढ़ाई
पूरी होने
के कुछ
ही वक्त
के अंतराल
में गरोठ
कस्बे में
शादी हो
गई|
पेशे से
अध्यापिका हूँ
और जीने
के लिए
लिखती हूँ|
साहित्यिक पुस्तकें
पढ़ना मुझे
बेहद पसंद
है|
मुंशी प्रेमचंद
जी की
पुस्तकें काफी
प्रभावित करती
है
2. आपने
सबसे पहले
कब जाना
की आपके
अंदर एक
कवि मौजूद है?
सत्र 2012 में मैंने
अपने एहसासों
को पन्नों
पर उतारा|
जाने कब
मेरे अनुभवों
ने कविताओं
का रूप
ले लिया
समझ ही
ना पाई
,घर आए
एक मेहमान
का मेरी
पंक्तियों पर
वाह करना
मुझे बतला
गया की
मेरी पंक्तियाँ
कविता का
रूप लेने
लगी है|"अहसास
नहीं था,बस
लिखते रहे
लिखते रहे,पन्ने
पलटकर देखा
तो कवि
बन गए
"|
3. आपकी
अभिव्यक्ति का
माध्यम कविता
ही क्यों
है?
शुरूआती दौर
में कविताओं
की लय
और तुक
ने मेरा
मन मोह
लिया| ये ऐसा
जरिया है
जिसे पाठक
अत्यधिक पसंद
करते है|
कम शब्दों
में किसी
के दिल
तक बात
पहुंचाने का
एक अच्छा
माध्यम है|
4. आप
जीवन के
हर पहलू
पर कविता
लिख लेती
है|
ऐसा किस
प्रकार से
कर लेती
है ?
जीवन में
आए उतार-चढ़ाव
और प्रतिदिन
हुए अनुभवों
को महसूस
कर मैंने
उन्हें कागज
पर उकेरा
और कविताएँ
बनती चली
गई,
पाठकों की
रूचि को
ध्यान में
रखते हुए
भी हर
पहलु पर
कलम चलाई है|
5. जीवन
में किस
चीज या
घटना से
आप अत्यधिक
प्रभावित होती
हैं ?
मैं रूढ़िवादी
सोच से
बहुत प्रभावित
होती हूँ|
चाहती हूँ
कि लोग
अपनी सोच
की विकसित
करें और
वक़्त की
एहमियत समझें|
साथ ही
तमन्ना है
कि एक
माँ के
हुनर को
पहचान मिले, उतना ही
सम्मान मिले
जितना कि एक
नौकरीपेशी इंसान
को मिलता
है|
6. क्या
आपको कभी
किसी प्रकाशक
ने आपकी
पुस्तक छापने
से मना
किया है?
यदि हाँ
तो आपने
उसे कैसे
लिया है?
नहीं, अभी तक
तो ऐसा
कुछ हुआ
नहीं लेकिन
अगर होता
तो मैं
यह सोचती
की दुनियाँ
में विविध
प्रकार की
सोच है,
जो की
एक सी
नहीं हो
सकती और
हौसला टूटने
नहीं देती
क्योंकि मेरा
मानना है
की
"हार मान
लेने से
हार होती
है
, उससे पहले
नहीं I"
7. आजकल
बहुत सारे
लोग कविताएँ
लिख रहे
है लेकिन
बहुत कम
ही अपनी
छाप छोड़
रहे है|
ऐसा क्यों
?
वो इसलिए
क्योंकि आजकल
लोग सिर्फ़
अपना लेखन
छापने को
महत्व दें
रहे है|
कुछ ही
लोग इसे
गंभीरता से
लेते हैं,जब
लोग यह
समझ जाएंगे
की प्रकाशित होना ही
लेखक का
मुख्य कार्य
नहीं है,वो
भी अपनी
छाप छोड़
पाएंगे| अगर लेखन
में जान
है, कलम
चीख चीखकर
स्वतः ही
सब बयां
कर देती
है|कुछ
भी लिखकर
प्रकाशित करवाना
साहित्य की
क्षति है|
8. आप
किस समय
लिखना पसंद
करती है
और क्यों?
मैं देर रात या प्रभात सूर्योदय से पहले लिखना पसंद करती हूँ|क्योंकि वही एक वक़्त होता है जब सन्नाटे गूंजते और शोर शांत हो जाता है|
9. यदि आपको स्वयं को एक शब्द में परिभाषित करने को कहा जाए तो वो शब्द क्या होगा?
लेखिका
10. आपके जीवन में पैसा अत्यधिक महत्वपूर्ण है या प्रसिद्ध?
जीवन में नाम कमाना या प्रसिद्धि पाना ज्यादा महवत्पूर्ण है क्योकि धन नश्वर है और प्रसिद्धि हमें मरने के बाद भी जीवन्त रखती है,ऐसा मेरा मानना है|
11. हमारे कुछ लोगों ने नारी को कभी अबला तो कभी गंवार की श्रेणी में रखा दिया है|क्या वो लोग नारी के प्रति किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित थे या फिर नारी की शक्ति से अनभिग्य? इस बारे में आपका क्या मंतव्य है?
मेरा मंतव्य है की वो लोग अपनी संकुचित सोच से ग्रसित हैंI नारी की शक्तियों से अनभिग्य हैं| ईश्वर
ने सबको समान बनाया है| नारी
पुरुष से किसी भी श्रेणी में कम नहीं है| न
उसे पुरुष से आगे निकलना चाहिए,न उसके पदचिन्हों पर चले, ऐसा जरुरी है| दोनों
एक दूसरे से कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं ,अपनी अलग पहचान बना सकते हैं| नारी
कमजोर नहीं ,हर जगह उसे "लेडीज फर्स्ट " कहकर आँकना गलत
है| जो
औरत की इज़्ज़त नहीं कर सकता वो फिर हर क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है|
12. नए उभरते कवियों और लेखकों को आपका क्या सन्देश है जिससे वे साहित्य में ठीक से योगदान कर सके?
कभी अपना लिखा छपवाने की जल्दबाजी ना करे| पहले साहित्य को समझे जाने उससे रिश्ता बनाएं पुस्तकें पढ़े और हौंसला कभी ना हारे| जल्दबाजी में अपना लिखा प्रकाशित तो कर देंगे लेकिन कुछ वर्षों बाद जब आपका लेखन और परिपक्व होगा या साहित्य से आप अच्छी तरह से परिचित हो जाएंगे तब आपके पास पछतावे के अलावा कुछ शेष नहीं रहेगा क्योंकि साहित्यिक क्षति भी होगी और आप एक ख़राब छाप छोड़ेंगे| खूब पढ़ें और अच्छा लिखें|
13. साहित्य में आजकल मीडिया का बोलबाला है| इससे
क्या लाभ है और क्या हानियाँ? कृपया
अपने पाठको को अवगत कराएं|
इससे लाभ यह है की हम तीव्र गति से अपने लेखन को पाठकों तक पहुँचा सकते है और लेखक को भी उचित स्थान मिल जाता है साहित्य जगत में, अपना वजूद मिलता है|
लेकिन हानि भी है| इसका गलत प्रयोग कर कुछ सक्षम लोग अपने कुछ भी लिखे को प्रमोट करके बेस्टसेलर कहलाते है, और
अच्छे लेखक धूल छानते रह जाते है जो की साहित्य की सबसे बड़ी क्षति है|
14. एक लेखक के लिए क्या जरुरी है – उसके अंदर का कलाकार ,उसकी योग्यताएँ, उसकी उच्च शिक्षा या फिर कुछ और?
मेरे हिसाब से हर किसी का अपना एक योगदान होता है लेकिन फिर भी उच्च शिक्षा और योग्यताओं की अपेक्षा अंदर का कलाकार रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है| कला का जन्म होता है, शिक्षा और क़ाबिलियत परिश्रम व समय की देन है|
15. आगे क्या-क्या लिखने का इरादा है?
आने वाले दिनों में एक उपन्यास लिखना चाहती हूँ,जिसकी शुरुआत हो चुकी है| कहानियों
से अधिक प्रेरित हुई हूँ इसलिए कहानी संग्रह आगे लेकर आना चाहूँगी|
बाकि जो वक़्त ,परिस्थतियाँ और अनुभव लिखवाएं वो मुझे मंजूर होगा|
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बहुत खुब कहाँ
ReplyDeleteVery Nice.
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