Monday, November 23, 2020

एक प्याला कॉफी : कविता संग्रह : लेखिका : रंजना प्रकाश

इश्क़ में अल्फ़ाज़ों की 

ज़रूरत क्या है,

बात बनती ही तब है 

जब कही ना जाये ........

ये पंक्तियाँ रंजना जी के नए कविता संग्रह से उद्दृत कर रहा हूँ...जो नितांत सत्य है और  स्त्री और पुरुष के आदि काल से चले आ रहे संबंध के बीच ये मौन गंगा की तरह पावन ही सतत बह रहा है। कहते भी हैं कि सत्य का स्वरूप सिर्फ मौन में ही समझा जा सकता है - क्योंकि जैसे ही हम सत्य को शब्दों का परिवेश देने लगते हैं वैसे ही असत्य अपने पैर पसारने लगता है। 

इश्क़ में यादों की

 मंज़िल तो बता दो यारों,

खबर तो हो के सफर 

और कितना बाकी है...

मित्रों आपको भी पता है कि इश्क़ एक मदहोशी का नाम है। जो इसमें पड़ जाता है उसे दीन दुनिया का कोई ध्यान नहीं रहता। परंतु लोग कह नहीं पाते कि आखिर ये मदहोशी इश्क़ के कारण ही है या कोई और नशा है...लेकिन एक सिद्दहस्त लेखिका ने कितनी आसानी से कितनी गहरी बात को उजागर कर दिया है... 




प्यार में रूबरू न हुए,

तो कोई बात नहीं, 

सिर्फ अहसास ही काफी है,

सांस लेने के लिए...

मुझे इन पंक्तियों में एक प्रेमी दिखा, एक प्रेमिका दिखी और एक तरफा प्रेम दिखा जिसको एक दार्शनिक की पोशाक पहनाकर रंजना जी ने आपके कानों में  सहजता से गुनगुना दिया...बहुत ही उम्दा और खूबसूरती के साथ। 


शाख से गिरते सूखे,

पत्तों से बचकर चलना, 

पाँव न रखना लोगों,

यहीं कहीं इस टूटे दिल के 

कतरे गिरे थे कभी...

इन पंक्तियों में अद्भुत दर्द का एहसास है। वो दर्द जो अपने किसी विशेष का दिया होता है। जब कोई इस प्रकार से दिल तोड़ता है कि चूर चूर होकर बिखर जाता है...

पूरी किताब जिसका शीर्षक भी बहुत अनोखा है "एक प्याला कॉफी" इसी तरह की अनुभूतियों, उद्गारों, अहसासों, और भावनाओं से सराबोर है जो आपको भी अपनी धीमी धीमी फुहारों से पाठक को भिगोने लगती है। पाठक कभी दर्द से भर जाता है और गमगीन हो जाता है, कभी पढ़ते पढ़ते उसके होठों पर एक मखमली मुस्कान तैर जाती है, कभी उसका अस्तित्व गंभीरता से भर उठता है तो कभी आँख बंद कर वो अपने प्रेमी के साथ बिताए खुशनुमा क्षणों को याद करके उनमें डूब जाता है...क्योंकि ये पुस्तक पुरुष और प्रकृति के प्रेम, बिछोह, वेदना, तड़प, टीस, और बहुत से रंगों से परिपूर्ण है।



रंजना जी एक अद्भुत रचनाकार और कलमकार हैं...जिनके भीतर का संगीत उनकी लेखनी से प्रवाहित होता रहता है कभी लघु कथाओं में, कभी उपन्यास के रूप में और अधिकतर उनकी कविताओं में। उनकी लेखन शैली बहुत ही सुंदर, सभी अलंकारों से युक्त, प्रकृति से तालमेल बढ़ते हुए आगे बढ़ती है जो पाठक के लिए आसानी से समझी जाने वाली और रोमांचक है...वो अपनी कृतियों में कठिन शब्दों का प्रयोग न करते हुए धारदार वाक्यों को गढ़ने में माहिर हैं। "एक प्याला कॉफी" उनकी नयी कविताओं की पुस्तक है जिसका मुखपृष्ठ बहुत सुंदर और आकर्षक है। पुस्तक में जो भी शब्दों की त्रुटियाँ हैं मेरी प्रार्थना है उनको अगले संस्करण में दूर किया जाना चाहिए...जिससे पाठन का आनंद दुगना हो जाएगा।

मैं रंजना प्रकाश जी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ और आशा करता हूँ कि उनकी लेखनी हिन्दी साहित्य को इसी प्रकार सींचती हुए आगे बढ़ती रहे। 


राजीव पुंडीर

24 Nov 2020