Wednesday, May 25, 2022

वहीदा : कहानी संग्रह - लेखक गौरव शर्मा

 गौरव शर्मा, गणित के आचार्य और एक जाने माने लेखक हैं । मैं इनके द्वारा लिखित सभी  उपन्यास ;  Love at Airforce, Rape Scars, Dawn at Dusk and It all Happened in a School, पढ़ चुका हूँ जिनमें Love at Airforce ने मुझे काफ़ी प्रभावित किया । मैं फेसबुक के माध्यम से उनसे जुड़ा हुआ हूँ और सतत रूप से उनके द्वारा लिखी छोटी बड़ी कवितायें, मुक्तक और शायरी पढ़ता रहता हूँ लेकिन एक कविता संग्रह के रूप में 'वहीदा' शीर्षक से पहली किताब आई है जिसे Petals Publishers लुधियाना ने प्रकाशित किया है और Amazon.in पर उपलब्ध है ।


किताब के शीर्षक और मुख पृष्ठ पर छपे फिल्म अदाकारा वहीदा रहमान के चित्र से आपको अनुमान हो जाता है कि सभी कवितायें वहीदा के ऊपर ही लिखी गईं हैं और उन्हीं को समर्पित हैं । हिंदी साहित्य में सामान्य रूप से किसी एक व्यक्ति के ऊपर इतनी कवितायें किसी ने लिखी हों मुझे इसका ज्ञान नहीं है इसलिए ये किताब, एक असाधारण काव्य रचना का उदाहरण है और एक नया प्रयोग भी ।



हम सब इस बात से भलीभांति अवगत हैं कि वहीदा रहमान हिंदी सिनेमा की एक उत्कृष्ट अदाकारा रही हैं लेकिन कोई व्यक्ति उनकी अदाकारी, उनके व्यक्तित्व, उनकी ख़ूबसूरती, उनकी सादगी, से इतना प्रभावित हो जाएगा कि उनके ऊपर ढेर सारी कवितायें लिख देगा ये अपने आप में एक अनोखा कार्य है जो बिना उस विषय का गहन अध्ययन किये, बिना गहराई में उतरे नहीं हो सकता । मुझे ये कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि गौरव शर्मा ने पूर्ण तन्मयता से इस कार्य को निष्पादित किया है । इसके लिए मैं उन्हें बहुत बहुत बधाई देता हूँ ।

 इन कविताओं का जन्म वहीदा रहमान के द्वारा निभाए गए भिन्न भिन्न चरित्रों की मिट्टी से होता है जो फिल्म काला बाज़ार से शुरू होकर चौदवीं का चाँद  तक आते आते एक अमलतास के वृक्ष की भाँति पीले खूबसूरत फूलों से सराबोर बड़ा हो जाता है जिसे देखकर या कहें कि पढ़कर आप आनंदित हुए बिना नहीं रह सकते । लेखक की कल्पना बहुत सुंदर है जैसे :

 मधुशाला की दीवार की इंटों के बीच से, तुलसी का एक पौधा उग आया हो जैसे, 

या फिर, सूने आसमान पर चिट्टे बादलों के फूल बिखर गए हों जैसे, 

या मैं तुम्हें मीता पुकारूंगी, कौन होता जो उस आवाज़ से ये सुनकर बह न जाता, लोहा भी होता तो पिघल कर चरणामृत हो जाता,

देखा ना होगा कभी किसी ने, रूह की आँख से बहता पानी,

आंसू से गुंथी मिट्टी का बोझ लिए, चाक अनमना चल रहा हो, सांझ की नीली ओस पीकर मन में दिया बस जल रहा हो 

ओ बूँद, क्या सोचती थी तुम, जब बादलों से चली थी ? मन में सपनों की गुदगुदी थी, या चिंताओं की खलबली थी ?

और पूरी किताब ऐसे अहसासों से सराबोर है जिनमें वहीदा के चरित्रों के दुःख हैं, प्रसन्नता है, मजबूरी है, अल्हड़ता है, प्रेम है और वो सब कुछ है जो उन पात्रों ने वहीदा के माध्यम से जिया है । अगर देखा जाये तो वहीदा जी को अपने सम्पूर्ण फ़िल्मी जीवन में न जाने कितने पुरस्कार मिले होंगे लेकिन उनके बारे में इतनी सुंदर दिल को छूने वाली कवितायें शायद किसी न लिखी हों और किसी कलाकार के लिए इससे बड़ा पुरस्कार शायद नहीं हो सकता । 

लेकिन, वहीदा रहमान के व्यक्तित्व और अदाकारी ने लेखक गौरव शर्मा, जो मेरे मित्र भी हैं, को इस हद तक प्रभावित किया कि उनके द्वारा निभाए गए चरित्रों को जिन लेखकों ने लिखा उनका भी आभार करना चाहिए था, जो छूट गया और मैं समझता हूँ कि ये एक स्वाभाविक भूल है । मेरा विनम्र निवेदन है कि अगले संस्करण में उन लेखकों का नाम भी जोड़ा जाए और उनके प्रति आभार भी क्योंकि एक लेखक ही दूसरे लेखक के योगदान को समझ सकता है, उसे उसका यथोचित सम्मान दे सकता है।


अंत में बस कहना चाहूँगा कि किताब बहुत बढ़िया कविताओं से भरी हुई है । ये किताब और कवितायें उन युवा लेखकों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह है जो लिखना चाहते हैं लेकिन लेखन में कितना श्रम करना चाहिये उससे अभी अनभिग्य हैं । मैं गौरव शर्मा के लिए ह्रदय से शुभकामनाएं देता हूँ और आशा करता हूँ कि वो ऐसे ही लिखते रहें और हम उनकी किताबों से अपने मनोरंजन के साथ साथ कुछ न कुछ सीखते भी रहें ।


राजीव पुंडीर 

25 May 2022