Monday, July 10, 2017

पुनःअवलोकन : तुम्हारी यादें - द्वारा श्रीमती रंजना प्रकाश

आजकल हिंदी साहित्य कम पढ़ने को मिलता है I हांलांकि हिंदी में किताबें बहुत हैं, परन्तु मैं अंग्रेज़ी में ज़्यादा लिखता हूँ इसलिए अंग्रेज़ी का साहित्य अधिक पढ़ता हूँ I इन्हीं दिनों फेसबुक पर रंजना जी से मित्रता हुई और मुझे उनके द्वारा रचित हिंदी कवितायें पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिनसे मैं बहुत प्रभावित हुआ I फेसबुक पर उनका पृष्ठ निनाद है जिसे आप लोग भी पढ़कर आनन्द उठा सकते हैं I

अभी हाल ही में मुझे उनकी किताब 'तुम्हारी यादें' प्राप्त हुई जिसके लिए मैं उनका आभारी रहूंगा I

दोस्तों, पूरी किताब के आगोश में यादें ही यादें भरी पड़ी हैं. सभी कविताओं का एक ही विषय है - यादें I और मुझे आश्चर्य है कि लेखक ने एक ही विषय को इतने रंगों से भर दिया है कि पाठक को हर एक कविता नयी और निराली लगती है I पाठक कविताओं में इतना खो जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि क़िताब कब ख़त्म हो गयी और खुद ही कह उठता है - अरे ख़त्म हो गयी ! काश अभी और भी पढने को मिलती I

दोस्तों ऐसी कवितायेँ तभी लिखी जाती हैं जब किसी ने किसी को बेपनाह टूट के प्यार किया हो, तभी लिखी जाती हैं जब कोई बहुत ही प्यारा बिछड़ गया हो और हर पल उसकी याद में गुज़रता हो, तभी लिखी जाती हैं जब किसी के बिना ज़िन्दगी अधूरी लगती हो, तभी लिखी जाती हैं जब दिल में कोई इस तरह समाया हो जैसे फूलों में खुशबू, तभी लिखी जाती हैं जब हर आती-जाती सांस पर किसी का नाम लिखा हो, तभी लिखी जाती हैं जब किसी ने किसी को पूर्ण रूप से समर्पण कर दिया हो...

"तेरा साया क़रीब लगता है, आहटें तेरी सुनती रहती हूँ,
तू मेरी जां में हो गया शामिल, रूह की तरह मुझमें रहता है I"

और भी-
"भीनी-भीनी तेरे बदन की खुशबू से, घर-आँगन मेरा महकता रहता है,
तेरे हाथों की नर्म हरारत से, तपती रहती है सुर्ख हथेली मेरी I
एक और-
"दिल में नश्तर है तेरी यादों का, कतरा-कतरा लहू टपकता है,
दर्द लेकिन सुकून देता है, बस यही इक गुनाह है मेरा -मैंने केवल तुम्हीं से प्यार किया I

जो आपके दिल में उतर जायेगी -
"भीनी खुशबू से महकती है रात की रानी, है तेरे क़दमों की आहट या पवन बासंती,
रफ़्ता-रफ़्ता ये दिल शाम से धड़कता है, और तेरी खुशबू में भीग जाती हैं मेरी साँसें I"

"रात आया था चाँद मेरी खिड़की पे, धुंध में लिपटी मुलाक़ात याद आती है,
आसमां खो गया था जब ज़मीं की बाँहों में, और ज़मी लाज से सिमट सी जाती है I


मित्रों, रंजना जी ने इन कविताओं में यथार्थ में अपना दिल खोल कर पाठक के सामने रख दिया है I उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त करते समय सभी रंगों का, छंदों का, रसों का, विशेषणों का और अलंकारों का प्रयोग बखूबी किया है कि पाठक मंत्रमुग्ध हो जाता है I कवितायेँ पढ़कर आपको लगता है कि चाँद-सितारे, छाँव-धूप, आसमान-सूरज- क्षितिज, हवाएं, फूल, खुशबू, तितली,मयूर और पूरी प्रकृति आपके पहलू में समा गयी है  या फिर आप उसके आगोश में समा गए हैं I इसके साथ-साथ प्रेम, वियोग, विरह, दर्द, करूणा और आंसुओं में भी आपको ये कवितायेँ भिगो देती हैं I


हांलांकि मेरी उतनी औकात नहीं है कि मैं उनकी कविताओं पर कोई टिपण्णी कर सकूँ, फिर भी मैं कहना चाहूँगा कि एक परिपक्व लेखिका का अति उत्तम कार्य है ये क़िताब जो उन्होंने दिल से निकाल कर कागज़ के पन्नों पर उकेर कर जगमगाता करके आपके सामने प्रस्तुत कर दिया है I मैं उन्हें इसके लिए बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि उनकी लेखनी के और भी रंगों का मुझे इंतज़ार रहेगा I

हिचकियाँ- बस अगले संस्करण में थोड़ी एडिटिंग की ज़रुरत है क्योंकि टाइप करते समय कुछ शब्दों की स्पेलिंग गड़बड़ हो गयी है जिससे पढ़ने का तारतम्य कभी-कभी टूट जाता है I

रेटिंग : 4.5/5

राजीव पुंडीर
10/जुलाई / 2017


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