Wednesday, January 9, 2019

एक शाम, एक ख़ास मुलाक़ात : लेखिका मंजु सिंह से।

साक्षात्कार :
पाठकों को अपना संक्षिप्त परिचय दीजिये I
मुझे लोग मंजु सिंह के नाम से जानते हैं । मैं अध्यापन के क्षेत्र से जुड़ी रही हूँ। मैने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के बाद बी एड भी किया । लेखन मुझे आत्म संतुष्टि देता है। समाज में फैला किसी भी प्रकार का प्रदूषण मुझे जब विचलित करता है तब मैं अपनी भावनाओं को शब्द दे ही देती हूं अक्सर । लेख, कविता, कहानी, लघु नाटिका, समीक्षा, आलोचना, संस्मरण आदि लिखती रही हूं। मेरी रचनाएँ विभिन्न सोशल मीडिया के विभिन्न पोर्टलों पर प्रकाशित होती रही हैं। साहित्य कुँज , अनुभव पत्रिका, दा रायटर, प्रतिलिपि, मातृभाषा, हिंदी लेखक डॉट कॉम आदि पर रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। मोम्स्प्रेस्सो के लिए ब्लॉग भी लिखती रही हूँ। हाल ही में पहली बार मेरी रचनाएँ “जिंदगी :कभी धूप कभी छांव”  नामक साझा कविता-कहानी संग्रह में प्रकाशित हुई हैं। यही संक्षिप्त सा परिचय है मेरा।

2. आपने लिखना कब और कैसे शुरू किया ?
लेखन यूँ तो विद्यार्थी जीवन में ही आरंभ हो गया था। उन दिनों भी दो चार कविताएं एक स्थानीय पत्रिका में प्रकाशित हुई थीं। मैं तब शायद नवीं कक्षा में थी। उसके बाद बस डायरी में लिखना जारी रहा। विवाह के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों और नौकरी के चलते समयाभाव रहा और लेखन लगभग बन्द ही हो गया। जब मैं 14 वर्ष की थी तब मेरी दो कविताएँ एक पत्रिका में छपी थीं जिसका अब नाम भी याद नहीं है। तब न जाने कितनी कविताएँ लिखीं लेकिन संग्रह नहीं किया । लिख तो तभी से रही हूँ लेकिन प्रकाशन के लिये कहीं भेजीं नहीं कभी।

3. आपकी अभिव्यक्ति का माध्यम कहानी है या कविता ? आप किसको प्राथमिकता देते हैं और क्यों ?
जब कलम के मन में जो भी आ जाए वही लिखती है वह । कहानी , कविता , लेख , संस्मरण , नाटिका , समीक्षा सभी कुछ लिखती हूं।


4. आपकी रचनाएं जीवन में किस चीज़ से या किन घटनाओं से प्रेरित होती हैं ?
अधिकतर देखने में आया है कि सभी लेखक-लेखिकाएं अपनी रचनाओं में अपने ख़ुद के जीवन में घटित घटनाओं को ही आधार बनाकर कहानियां और कवितायें लिखते हैं I क्या आपकी रचनाएँ भी आपके जीवन का प्रतिबिम्ब हैं ?
मेरी कविता आसपास के माहौल से अथवा घटनाओं के प्रभाव से ही प्रस्फुटित होती है । जब मन अधिक खिन्न या प्रसन्न होता है या यूँ कहें कि भावनाओं का अतिरेक ही कविता को जन्म देता है। जी लेखक भी समाज का अंग है और समाज में घटित घटनाएँ उसे प्रभावित करती ही हैं। कहानियाँ समाज से ही निकलती हैं अधिकतर । कभी व्यक्तिगत अनुभव पर भी आधारित होती हैं और कभी देखी सुनी घटनाओं से प्रेरित। कभी इतिहास की घटनाएँ भी कहानी या कविता का आधार बन जाती हैं।

5. आजकल फेसबुक आदि मंचों पर बहुत अधिक लेखक और लेखिकाएं देखने को मिल रहीं हैं I क्या ये मंच आपको पर्याप्त लगते हैं अपने आपको लेखक के रूप में स्थापित करने के लिए?
बात सही है कि आजकल सोशल मीडिया के रूप में एक सुलभ मंच सभी के लिये उपलब्ध है। मैं मानती हूं कि बहुत से लेखकों को ख्याति प्राप्त हुई है इसके माध्यम से जो कि पहले इतना सरल नहीं था। अब पुस्तक के रूप में अपनी रचनाओं के प्रकाशन के अवसर भी इसी मंच के माध्यम से बहुत सुलभ हो गए हैं। पहचान बनाने और स्वयं को लेखक के रूप में स्थापित करने के लिए आंशिक रूप से मददगार अवश्य है यह माध्यम।

6. आप किस रूप में अपनी किताब को देखना पसंद करेंगे – सॉफ्ट कॉपी में या हार्ड कॉपी में और क्यों?

मैं निश्चय ही हार्ड कॉपी के रूप में अधिक पसंद करूँगी क्योंकि उसकी उम्र और महत्व दोनों ही अधिक हैं।


7. आपके जीवन में पैसा अधिक महत्वपूर्ण है या प्रसिद्धि?
आज के समय में पैसे के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। यश की भूख भी बढ़ ही रही है लेकिन सच कहूँ तो मैं दोनों में से किसी के लिये नहीं लिखती केवल आत्मसन्तुष्टि ही मेरे लिए बड़ी चीज़ है। समाज में यदि एक व्यक्ति के विचारों में भी मेरे लेखन से कोई सकारात्मक परिवर्तन आ जाए तो लेखन सफल हो जाएगा ।

  8. एक लेखक के लिए क्या ज़रूरी है – उसके अन्दर का कलाकार, उसकी शैक्षिक योग्यताएं, या फिर  कुछ और ?
एक लेखक के लिए उसकी भावनाएँ और उसके विचार सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। उसके भीतर का कलाकार ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिसके माध्यम से वह समाज को अपने विचार संप्रेषित करता है

9. आपका आगे क्या लिखने का इरादा है?
इरादा करके अभी तक तो कुछ लिखा नहीं कभी । हां परिस्थितियाँ जो भी लिखने की प्रेरणा देंगी, वह अवश्य लिखूंगी।  उपन्यास लिखने की इच्छा है। कोशिश ज़रूर करूंगी।

10. नए उभरते कवियों और लेखकों के लिए आपका क्या सन्देश है, जिससे वो साहित्य में ठीक से अपना योगदान दे सकें?
नए लेखकों से केवल यही कहना चाहूँगी कि कलम की शक्ति का महत्व समझें और वही लिखने का प्रयास करें जिससे समाज को एक दिशा मिल सके, एक सकारामक परिवर्तन की दिशा ।

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